Mastram Family Sex Stories – दोस्तो मेरा नाम है बबिता मैं एक 30 साल की महिला हूँ। मेरी शादी हो गयी है। मेरा एक ढेड़ साल का बेटा भी है। मैं अपने पति के साथ बहोत खुशी के साथ रह रही हूँ। मेरा घर वैसे सूरात में है लेकिन मेरे पति का जॉब मुम्बई में था तो मैं उनके साथ मुम्बई में रहती थी। मैं अपने पति के साथ सेक्स खूब मज़ा ले रही थी।
वैसे जब मैं घर का काम कर लेती थी तो जब फ्री समय रहता था तो सेक्स कहानियां भी पढ़ लिया करती थी। जब रात को पति आते थे तो मेरी चुदाई करते थे। उस कहानियों में जो जो पोज़ उपयोग करते थे मैं भी वही करने की कोसिस किया करती थी।
एक बार मेरे ससुर अपने बेटे पोते और बहू से मिलने के लिए आये। मैं उनके सामने सर पे पल्लू डाल के रहती थी। वो इस बात 2 दिन के लिए रहने आये थे। मेरे ससुर सरीर से बहोत हत्थे कथे थे क्योंकि वो अपनी जवानी में पहलवानी किया करते थे। साथ मे जो अभी रोज योगा और कसरत करते थे। उनकी उम्र अभी 50 की हो गयी थी लेकिन वो अभी भी जवान लगते थे। मेरे पति तो उनके छोटे भाई लगते थे।
अब वो आये थे तो अपने पोते को खिलाने में लगे हुए थे। मेरे पति ऑफिस गए हुए थे। तभी मेरा बेटा रोने लगा तो मैं उसे लेके रूम में लेके दूध पिलाने के लिए आ गई। मैं गेट बंद करने भूल गयी थी मैं तो दूध पिला रही थी कि तभी मेरे ससुर रूम में आ गए मेरी चुचिया बाहर थी उन्होंने मेरी चुचिया देख ली। मैंने जबतक चुचिया अंदर की तबतक वो अच्छे से देख लिए थे।
वो बोले मेरे मैं तो बस मुन्ना यानी अपने पोते को लेने आया था। वो उस वक़्त चले गए लेकिन मुझे बहोत शर्म आ रही थी। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे आवाज लगया मैं उनके पास गई तो वो बोले कि मेरे घुटनो में दर्द है तुम जरा तेल लगा के मालिश कर दो। मैं तेल ले आयी और उनका मालिश करने लगी थी उन्होंने लुंगी पहना हुआ था।
वो अपना लुंगी जांघो तो ले गए मैं जब घुटना दबा रही थी तो मेरी नज़र उनके लुंगी के अंदर चली गयी। उन्होंने अंदर कुछ नही पहना था और उसका लण्ड भी खड़ा था।मैं ये नज़ारा देख सकपका गयी मेरे हाथ से तेल की कटोरी गिर गयी। वो अपना तांग ऐसे फैला दिए थे जैसे कि मैं अभी उनका लण्ड अपने मुह में लू।
उनका लण्ड करीब 4 इंच मोटा और 6-7इंच लंबा था। मैं तो देखती रह गई तभी उन्होंने कहा क्या देख रही हो चाहिए क्या, मैं डर गई उन्हें पता चल गया कि मेरी नज़रे उनके लण्ड के ऊपर है। अब उन्होंने तो अपना पूरा लुंगी ऊपर कर दिया और लण्ड मेरे मुह के सामने लाके रख दिया। मैं कुछ समझ नही पाई उन्होंने बोला कि थोड़ा इसका भी मालिश कर दो। मुझे भी उनका लौरा चुने के मन कर रहा था।
मैंने उनकी लण्ड की मालिश सुरु कर दी अचानक बोले रुक जाओ। वो बोले मुह खोलो मैं नही खोली की उन्होंने मेरा मुह दबा के खोल दिया। अपना लण्ड मेरी मुह में घुसा दिए। मेरे सर पकर के आगे पीछे करने लगे थे। मैं बस ये सोच रही थी जो औंरत अपने ससुर के सामने सर पे पल्लू डाल के रहती थी वो आज उन्ही का लौरा चूस रही है।
उनका एक हाथ मेरी चुचियो चला गया था। वो बोले की आज मुझे भी अपने दूध का स्वाद चखा दो। फिर वो मेरी सारी को हटा दिए और एक जटके में मेरी ब्लाउज की सारी बटन को तोड़ दिए। मेरी ब्रा में चुचियो को निकाल के चुसने लगे थे। मैं तबतक उनका लण्ड पकड़ी हुई धीरे धीरे सहला रही थी। मुझे तो समझ नही आ रहा था ये मैं क्या कर रही हूं बस मैं उस कामवासना में डूबी जा रही थी।
अब वो उठ के खरे हुए मेरी ब्रा को खोल दिये मेरी सारी को खोल दिया और मेरी पेटीकोट को नीचे कीच के मेरे पैरों को चूमते हुई ऊपर आये और मेरी पैंटी भी खोल दिये थे। मैं उनके सामने पूरी नंगी हो चुकी थी। उन्होंने अपनी लुंगी हटा दिया और मुझे सोफे पे धकेल के मेरी चूत को चाटने लगे थे। मैं मदहोश हुई जा रही थी। उनका ऐसा करना मुझे पागल कर रहा था। वो मेरी चूत को चाट नही चूस रहे थे।
अब वो उठे और सोफे पे ही मेरी टांगो को फैला दिया। लण्ड को चूत के ऊपर रखा और एक बार मे सटक से अंदर घुसा दिए। मेरी आआह निकल गयी मुझे सोफे में दबा के मेरी चुचियो को पकड़ के मुझे अब चोदने लगे थे। मैं सारे शर्म लिहाज भुल गयी थी मैं तो बस अब चुदने का मज़ा ले रही थी। वो उस दिन मेरे जॉनी सिंस बन गए थे।
फिर उन्होंने मुझे गोद मे उठा लिया और चोदते हुए कमरे में लेके आ गए।मैं उनकी गोद मे थी वो कूदा कूदा के लण्ड पेल रहे थे। मुझे बेड पे पटक दिए और अब मेरी ऊपर आके मेरी टांग को कंधे पे डाल के चोदना सुरु कर दिए थे। ऐसी 30 मिनट के जोरदार चुदाई के बाद दोनों झर गए थे। अब सरूर जी मेरे सरूर नही रहे थे। वो बोले क्या मैंने अपने बेटे से अच्छी सेवा दी है। मैं बोली उसे दुगना मज़ा आया है।
कुछ देर के बाद दोनों फिर से मूड में आ गए और अब ऐसा ऐसा पोज़ में मेरी चुदाई हुई जो मैंने कभी सोचा नही था। पहले वो मुझे दीवाल में लगा कि खरे खरे चोदे तो उसके बाद गोद मे उठा के फिर फिर पीछे से चुदाई की उन्होंने जब वो पीछे से कर रहे थे तो उन्होंने मेरी गांड भी मार ली। फिर कभी मैं उनके ऊपर तो वो मेरे ऊपर ऐसा करते करते हम दोनों शाम तक सेक्स करते रहे।
मेरे ससुर जो अगले दिन जाने वाले तो वो अब 1 सफ्ताह के लिये रुक गए थे। अब रोज वो मेरी चुदाई किया करते थे इसलिए कभी कभी मैं रात को अपने पति को मना किया करती थी। इन सात दिनों में मेरी चूत की धज्जियां उर गयी थी।